पच्चपच्चाशदधिकद्विशततम (255) अध्याय: वन पर्व (घोषयात्रा पर्व)
महाभारत: वन पर्व: पच्चपच्चाशदधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 21-25 का हिन्दी अनुवाद
उन ब्राह्मणों के ऐसा कहने पर राजा दुर्योधन ने कर्ण, शकुनि तथा अपने भाइयों से इस प्रकार कहा- ‘बन्धुओं! मुझे तो इन ब्राह्मणों की सारी बातें रुचिकर जान पड़ती हैं, इसमें तनिक भी संशय नहीं है। यदि तुम लोगों को भी यह बात अच्छी लगे, तो शीघ्र अपनी सम्मति प्रकट करो’। यह सुनकर उन सब ने राजा से ‘तथास्तु’ कहकर उसकी हाँ में हाँ मिला दी। तदनन्तर राजा दुर्योधन ने काम में लगे हुए सब शिल्पियों को क्रमश: हल बनाने की आज्ञा दी। नृपश्रेष्ठ! राजा की आज्ञा पाकर सब शिल्पियों ने तद्नुसार सारा कार्य क्रमश: सम्पन्न किया।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत घोषयात्रापर्व में दुर्योधन यज्ञ समारम्भ विषयक दो सौ पचपनवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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