सद्वाविंशत्यधिकद्विशततम (222) अध्याय: वन पर्व (घोषयात्रा पर्व)
महाभारत: वन पर्व: एकोनपच्चाशदधिकद्विशततमअध्याय: श्लोक 39-40 का हिन्दी अनुवाद
ऐसी दशा में तुम्हें निम्न कोटि के मनुष्यों की तरह दीनतापूर्ण खेद नहीं करना चाहिये। राजन्! तुम आमरण उपवास का व्रत लेकर बैठे हो और इधर तुम्हारे सगे भाई शोक एवं विषाद में डूबे हुए हैं। बस, इन सबको दु:खी करने से कोई लाभ नहीं है। तुम्हारा भला हो। उठो चलो और अपने भाइयों को आश्वासन दो’।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत घोषयात्रापर्व में दुर्योधन प्रायोपवेशन विषयक दो सौ उनचासवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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