एकत्रिंशदधिकद्विशततम (231) अध्याय: वन पर्व (मार्कण्डेयसमस्या पर्व)
महाभारत: वन पर्व: एकत्रिंशदधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 108-113 का हिन्दी अनुवाद
महासेन से ऐसा कहकर शचीपति इन्द्र भगवान शंकर की आज्ञा ले देवताओं के साथ स्वर्गलोक को लौट गये। भगवान रुद्र भद्रवट के समीप गये और देवता अपने-अपने स्थान को लौटने लगे। उस समय भगवान शंकर ने देवताओं से कहा- ‘तुम सब लोग कुमार कार्तिकेय को मेरे ही समान मानना।' अग्निनन्दन स्कन्द ने सब दानवों को मारकर महर्षियों से पूजित हो एक ही दिन में समूची त्रिलोकी को जीत लिया। जो ब्राह्मण एकाग्रचित्त हो स्कन्ददेव के इस जन्म वृत्तान्त का पाठ करता है, वह संसार में पुष्टि को प्राप्त हो अन्त में भगवान स्कन्द के लोक में जाता है।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत मार्कण्डेयसमस्यापर्व में आंगिरसोपाख्यान के प्रसंग में स्कन्द की उत्पत्ति तथा महिषासुर वध विषयक दो सौ एकतीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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