सप्तविंशत्यधिकद्विशततम (227) अध्याय: वन पर्व (मार्कण्डेयसमस्या पर्व)
महाभारत: वन पर्व: सप्तविंशत्यधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 16-18 का हिन्दी अनुवाद
वज्र के प्रविष्ट होने से उसकी उत्पति हुई थी, इसलिये वह विशाख नाम से प्रसिद्ध हुआ। प्रलय काल की अग्नि के समान अत्यन्त तेजस्वी उस द्वितीय वीर को प्रकट हुआ देख इन्द्र भय से थर्रा उठे और हाथ जोड़कर उन स्कन्द देव की शरण में आये। तब सत्पुरुषों में श्रेष्ठ कुमार स्कन्द ने सेना सहित इन्द्र को उभयदान दिया। इससे प्रसन्न होकर सब देवता (हर्षसूचक) बाजे बजाने लगे।
इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्तर्गत मार्कण्डेयसमस्यापर्व में आंगिरसोपाख्यान के प्रसंग में इन्द्र-स्कन्द समागम विषयक दो सौ सत्ताईसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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