महाभारत वन पर्व अध्याय 112 श्लोक 11-19

द्वादशाधि‍कशततम (112) अध्‍याय: वन पर्व (तीर्थयात्रा पर्व)

Prev.png

महाभारत: वन पर्व: द्वादशाधि‍कशततम अध्‍याय: श्लोक 11-19 का हिन्दी अनुवाद


उस फल (गेंद) को मारकर वह चारों ओर घूमने लगता था, मानो वृक्ष हवा का झोंका खाकर झूम रहा हो। तात! देवपुत्र के समान उस ब्रह्मचारी को देखते समय मेरे हृदय में बड़ा प्रेम और आनन्‍द उमड़ रहा था और मेरी उसके प्रति‍ आसक्‍ति‍ हो गयी है। वह बार-बार मेरे शरीर का आलि‍ंगन करके मेरी जटा पकड़ लेता और मेरे मुख को झुकाकर उस पर अपना मुख रख देता था, इस प्रकार मुख से मुख मि‍लाकर उसने एक ऐसा शब्‍द कि‍या, जि‍सने मेरे हृदय में अत्‍यन्‍त आनन्‍द उत्‍पन्‍न कर दि‍या। मैंने जो पाद्य अर्पण कि‍या, उसको उसने बहुत महत्‍व नहीं दि‍या।

मेरे दि‍ये हुए ये फल भी उसने स्‍वीकार नहीं कि‍ये और मुझसे कहा- ‘मेरा ऐसा ही नि‍यम है।‘ साथ ही उसने मेरे लि‍ये दूसरे-दूसरे फल दि‍ये। मैंने उसके दि‍ये हुए जि‍न फलों का उपयोग कि‍या है, उनके समान रस हमारे इन फलों में नहीं है। उन फलों के छि‍लके भी ऐसे नहीं थे, जैसे इन जंगली फलों के हैं। इन फलों के गूदे जैसे हैं, वैसे उसके दि‍ये फलों के नहीं थे (वे सर्वथा वि‍लक्षण थे)। उदारता के मूर्ति‍मान स्‍वरूप उस ब्रह्मचारी ने मुझे पीने के लि‍ये अत्‍यन्त स्‍वादि‍ष्‍ट जल भी दि‍या था। उस जल को पीते ही मेरे हर्ष की सीमा न हरी। मुझे यह धरती डोलती-सी जान पड़ने लगी।

वे वि‍चि‍त्र सुगन्‍धि‍त मालाएं उसी ने रेशमी डोरों से गूंथ कर बनायी थीं, जि‍न्‍हें यहाँ बि‍खेरकर तपस्‍या से प्रकाशि‍त होने वाला वह ब्रह्मचारी अपने आश्रम को चला गया था। उसके चले जाने से मैं अचेत हो गया हूँ। मेरा शरीर जलता-सा जान पड़ता है। मैं चाहता हूँ, शीघ्र उसके पास ही चला जाऊँ अथवा वही यहाँ नि‍त्‍य मेरे पास रहे।

पि‍ताजी! मैं उसी के पास जाता हूँ, देखूँ, उसकी ब्रह्मचर्य की साधना कैसी है? वह आर्य धर्म का पालन करने वाला ब्रह्मचारी जि‍स प्रकार तप करता है, उसके साथ रहकर में भी वैसी ही तपस्या करना चाहता हूँ। वैसा ही तप करने की इच्‍छा मेरे हृदय में भी है। यदि‍ उसे नही देखूंगा तो मेरा यह चि‍त्‍त संतप्‍त होता रहेगा।'


इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अन्‍तर्गत तीर्थयात्रापर्व में लोमशतीर्थयात्रा के प्रसंग में ऋष्‍यशृंगोपाख्‍यान वि‍षयक एक सौ बारहवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः