महाभारत वन पर्व अध्याय 104 श्लोक 21-24

चतुरधिकशततम (104) अध्‍याय: वन पर्व (तीर्थयात्रा पर्व)

Prev.png

महाभारत: वन पर्व: चतुरधिकशततमोअध्‍याय: श्लोक 21-24 का हिन्दी अनुवाद


उस समय मनुष्‍य, नाग, गन्धर्व, यक्ष सभी उस दृश्‍य को देखने के लिये उन महात्‍मा के पीछे चल दिये।

फिर वे सब लोग एक साथ भयंकर गर्जना करने वाले समुद्र के समीप गये, जो अपने उत्ताल तरंगों द्वारा मानो नृत्‍य कर रहा था और वायु के द्वारा उछल-कूदता-सा जान पड़ता था।

वह फेनों के समुदाय द्वारा मानो अपनी हास्‍य छटा बिखेर रहा था और कन्‍दराओं से टकराता-सा जान पड़ता था। उसमे नाना प्रकार के ग्राह आदि जलजन्‍तु भरे हुए थे तथा बहुत-से पक्षी निवास करते थे।

अगस्‍त्‍य जी के साथ देवता, गन्‍धर्व बडे़–बड़े नाग और महाभाग ऋषिगण सभी महासागर के तट पर जा पहँचे।


इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अंतर्गत तीर्थयात्रापर्व में लोमशतीर्थयात्रा के प्रसंग में अगस्त्य का समुद्र तट पर गमन विषयक एक सौ चारवाँ अध्याय पूरा हुआ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः