षष्ठ (6) अध्याय: मौसल पर्व
महाभारत: मौसल पर्व: षष्ठ अध्याय: श्लोक 19-28 का हिन्दी अनुवाद
ऐसा कहकर अचिन्त्य पराक्रमी प्रभावशाली श्रीकृष्ण बालकों के साथ मुझे छोड़कर किसी अज्ञात दिशा को चले गये हैं। तब से मैं तुम्हारे दोनों भाई महात्मा बलराम और श्रीकृष्ण तथा कुटुम्बीजनों के इस घोर संहार का चिन्तन करके शोक से गलता जा रहा हूँ। मुझसे भोजन नहीं किया जाता। अब मैं न तो भोजन करूँगा और न इस जीवन को ही रखूँगा। पांडुनन्दन! सौभाग्य की बात है कि तुम यहाँ आ गये। पार्थ! श्रीकृष्ण ने जो कुछ कहा है, वह सब करो। यह राज्य, ये स्त्रियाँ और ये रत्न-सब तुम्हारे अधीन हैं। शत्रुसूदन! अब मैं निश्चिन्त होकर अपने इन प्यारे प्राणों का परित्याग करूँगा।
इस प्रकार श्रीमहाभारत मौसल पर्व में अर्जुन और वसुदेव का संवाद विषयक छठा अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|