द्वितीय (2) अध्याय: मौसल पर्व
महाभारत: मौसल पर्व: द्वितीय अध्याय: श्लोक 18-24 का हिन्दी अनुवाद
पूर्वकाल में कौरव-पांडवों की सेनाएँ जब व्यूहबद्ध होकर आमने-सामने खड़ी हुईं, उस समय भयानक उत्पातों को देखकर युधिष्ठिर ने जो कुछ कहा था, वैसा ही लक्षण इस समय भी उपस्थित है।" ऐसा कहकर शत्रुदमन भगवान श्रीकृष्ण ने गांधारी के उस कथन को सत्य करने की इच्छा से यदुवंशियों को उस समय तीर्थयात्रा के लिये आज्ञा दी। भगवान श्रीकृष्ण के आदेश से राजकीय पुरुषों ने उस पुरी में यह घोषणा कर दी कि "पुरुष प्रवर यादवों! तुम्हें समुद्र में ही तीर्थयात्रा के लिये चलना चाहिये अर्थात सबको प्रभास क्षेत्र में उपस्थित होना चाहिये।"
इस प्रकार श्रीमहाभारत मौसल पर्व में उत्पातदर्शन विषयक दूसरा अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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