महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 61 श्लोक 21-35

एकषष्टितम (61) अध्याय: भीष्म पर्व (भीष्‍मवध पर्व)

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महाभारत: भीष्म पर्व: एकषष्टितम अध्याय: श्लोक 21-35 का हिन्दी अनुवाद


तब शल के पुत्र ने तीस बाणों से रणदुर्भद धृष्टद्युम्न को और दस बाणों द्वारा उसके सारथि को घायल कर दिया। इस प्रकार अत्यन्त घायल होकर अपने मुँह के दोनों कोनों को चाटते हुए महाधनुर्धर धृष्टद्युम्न ने अत्यन्त तीखे भल्ल शल के पुत्र का धनुष काट दिया। राजन! तत्‍पश्‍चात उन्‍होंने शीघ्र ही पच्चीस बाणों से शलपुत्र को घायल कर दिया तथा उसके घोड़ों एवं दोनों पृष्ठरक्षकों को भी मृत्यु के मुख में डाल दिया। भरतश्रेष्ठ! जिसके घोड़े मार दिये गये थे, उसी रथ पर खड़े हुए शल के पुत्र ने महामना धृष्टद्युम्न के पुत्र को देखा। तब पुरुषश्रेष्ठ शलपुत्र तुरंत ही एक अत्यन्त भयंकर लोहे की बनी हुई बड़ी तलवार हाथ में लेकर पैदल ही रथ पर बैठे हुए पांचालराजकुमार धृष्टद्युम्न की ओर चला। उस युद्ध में पाण्‍डवों तथा द्रुपदकुमार धृष्टद्युम्न ने मतवाले गजराज के समान पराक्रमी और सूर्य के समान दीप्तिमान शलपुत्र को आते देखा। वह महान वेगशाली जलप्रवाह, आकाश से गिरते हुए सर्प तथा काल की भेजी हुई मृत्यु के समान जान पड़ता था। उसके हाथ में नंगी तलवार थी। वह विरोधभाव लेकर धावा कर रहा था। उसके हाथ में तीखी तलवार थी। उसने अपने अंगों में कवच धारण कर रखा था। वह बाण के वेग को लांघकर अत्यन्त निकट आ पहुँचा। उस दशा में पांचाल राजकुमार सेनापति धृष्टद्युम्न ने तुरन्त क्रोधपूर्वक गदा से आघात करके उसके मस्तक को विदीर्ण कर दिया।

राजन! उसके मारे जाने पर शरीर से चमकीला कवच और हाथ से तलवार उसके गिरने के साथ ही वेगपूर्वक पृथ्वी पर गिरी। पांचालराज का भयानक पराक्रमी पुत्र महामना धृष्टद्युम्न गदा के अग्रभाग से शलपुत्र को मारकर अत्यन्त प्रसन्न हुए। आर्य! उस महाधनुर्धर महारथी राजकुमार के मारे जाने पर आपकी सेना में महान हाहाकार मच गया। अपने पुत्रों को मारा गया देख संयमनकुमार शल ने कुपित होकर रणदुर्भद पांचालराजकुमार धृष्टद्युम्न पर बड़े वेग से धावा किया। युद्ध में उन्मत्त होकर लड़ने वाले वे दोनों शूरवीर उस समरभूमि में एक दूसरे से भिड़ गये। कौरव और पाण्डव दोनों दक्षों के समस्त भूपाल उनका युद्ध देखने लगे। तब शत्रुवीरों का संहार करने वाले शल ने जैसे महावत किसी महान गजराज को अंकुशों से मारे, उसी प्रकार द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न को क्रोधपूर्वक तीन बाणों से घायल कर दिया। इसी प्रकार संग्राम शोभा पाने वाले शल्य ने भी क्रुद्ध होकर शूरवीर धृष्टद्युम्न की छाती पर प्रहार किया। फिर तो वहाँ भयंकर युद्ध छिड़ गया।


इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अन्‍तर्गत भीष्मवधपर्व में चौथे दिन के युद्ध में शल-पुत्र के वध से सम्बन्ध रखने वाला इकसठवां अध्याय पूरा हुआ।

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