महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 16 श्लोक 22-27

षोडश (16) अध्याय: भीष्म पर्व (श्रीमद्भगवतद्गीता पर्व)

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महाभारत: भीष्म पर्व: षोडश अध्याय: श्लोक 22-27 का हिन्दी अनुवाद


उनके सिर पर सफेद पगड़ी शोभा पाती थी। उनके घोडे़ भी सफेद ही थे। उन्‍होंने अपने अंगों में श्‍वेत कवच बांध रख था। महाराज! मर्यादा से कभी पीछे न हटने वाले उन भीष्म जी को मैंने अपनी श्‍वेतकान्ति के कारण नवोदित चन्‍द्रमा के समान शुभोभित देखा। भीष्‍म जी चांदी के बने हुए सुन्‍दर रथ पर विराजमान थे उनकी तालचिह्नित स्‍वर्णमयी ध्‍वजा आकाश में फहरा रही थी। उस समय कौरवों, पाण्‍डवों तथा धृष्टद्युम्न आदि महाधनुर्धर सृंजयवंशियों ने उन्‍हें सफेद बादलों में छिपे हुए सूर्यदेव के समान देखा। धृष्टद्युम्न आदि सृंजयवंशी उन्‍हें देखकर बारम्‍बार उद्विग्‍न हो उठते थे। ठीक उसी तरह, जैसे मुँह बाये हुए विशाल सिंह को देखकर क्षुद्र मृग भय से व्‍याकुल हो उठते हैं।

भूपाल! आपकी ये ग्‍यारह अक्षौहिणी सेनाएं तथा पाण्‍डवों की सात अक्षौहिणी सेनाएं वीर पुरुषों से सुरक्षित हो उत्तम शोभा से सम्‍पन्न दिखायी देती थीं। वे दोनों सेनाएं प्रलय काल में एक दूसरे से मिलने वाले उन दो समुद्रों के समान दृष्टिगोचर हो रही थीं, जिनमें मतवाले मगर और भँवरें होती हैं तथा जिनमें बड़े-बड़े ग्राह्य सब ओर फैले रहते हैं। राजन! कौरवों की इतनी बड़ी सेना का वैसा संगठन मैंने पहले कभी न तो देखा था और न सुना ही था।

इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्‍म पर्व के अन्‍तर्गत श्रीमद्भगवद्गगीतापर्व में सैन्‍यवर्णन-विषयक सौलहवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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