महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 40 श्लोक 21-37

चत्‍वारिंश (40) अध्याय: द्रोण पर्व ( द्रोणाभिषेक पर्व)

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महाभारत: द्रोण पर्व: चत्‍वारिंश अध्याय: श्लोक 21-37 का हिन्दी अनुवाद
  • तदनन्‍तर विजय की अभिलाषा रखकर युद्ध में कभी पीठ न दिखाने वाले आपके शूरवीर सैनिकों का शत्रुओं के साथ महान युद्ध होने लगा। (21)
  • महाराज! जब इस प्रकार अत्‍यन्‍त भयंकर संग्राम हो रहा था, उस समय दुर्योधन ने राधापुत्र कर्ण से यों कहा। (22)
  • कर्ण! देखों, वीर दु:शासन सूर्य के समान शत्रु सैनिकों को संतप्‍त करता हुआ युद्ध में उन्‍हें मार रहा था, इसी अवस्‍था में वह अभिमन्‍यु के वश में पड़ गया है। (23)
  • 'इधर ये क्रोध में भरे हुए पाण्‍डव सुभद्राकुमार की रक्षा करने के लिये उद्यत हो प्रचण्‍ड बलशाली सिंहों के समान धावा कर चुके हैं।' (24)
  • यह सुनकर आपके पुत्र का हित करने वाला कर्ण अत्‍यन्‍त क्रोध में भरकर दुर्द्धर्ष वीर अभिमन्‍यु पर तीखे बाणों की वर्षा करने लगा। (25)
  • शूरवीर कर्ण ने समरांगण में सुभद्राकुमार के सेवकों को भी तीखे एवं उत्‍तम बाणों द्वारा अवहेलनापूर्वक बींध डाला। (26)
  • राजन! उस समय महामनस्‍वी अभिमन्यु ने द्रोणाचार्य के समीप पहुँचने की इच्‍छा रखकर तुरंत ही तिहत्‍तर बाणों द्वारा कर्ण को घायल कर दिया। (27)
  • कोई भी रथी रथसमूहों को नष्‍ट-भ्रष्‍ट करते हुए इन्‍द्रकुमार अर्जुन के उस पुत्र को द्रोणाचार्य की ओर जाने से रोक न सका। (28)
  • विजय पाने की इच्‍छा रखने वाले, सम्‍पूर्ण धनुर्धरों में मानी, अस्त्रवेत्ताओं में श्रेष्‍ठ, परशुराम जी के शिष्‍य और प्रतापी वीर कर्ण ने अपने उत्‍तम अस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए सैकड़ों बाणों द्वारा शत्रुदुर्जय सुभद्राकुमार अभिमन्‍यु को बींध डाला और समरांगण में उसे पीड़ा देना आरम्‍भ किया। (29-30)
  • कर्ण के द्वारा उसकी अस्‍त्रवर्षा से पीड़ित होने पर भी देवतुल्‍य अभिमन्‍यु समरभूमि में शिथिल नहीं हुआ। (31)
  • तत्‍पश्चात अर्जुनकुमार ने सान पर चढ़ाकर तेज किये हुए झुकी हुई गाँठ वाले तीखे भल्‍लों द्वारा शूरवीरों के धनुष काटकर कर्ण को सब ओर-से पीड़ा दी। (32)
  • उसने मुसकराते हुए-से अपने मण्‍डलाकार धनुष से छुटे हुए विषधर सर्पों के समान भयानक बाणों द्वारा छत्र, ध्वज, सारथि और घोड़ों सहित कर्ण को शीघ्र ही घायल कर दिया। (33)
  • कर्ण ने भी उसके ऊपर झुकी हुई गाँठ वाले बहुत-से बाण चलाये; परंतु अर्जनकुमार ने उन सबको बिना किसी घबराहट के सह लिया। (34)
  • तदनन्‍तर दो ही घड़ी में पराक्रमी वीर अभिमन्‍यु ने एक बाण मारकर कर्ण के ध्‍वजसहित धनुष को पृथ्‍वी पर काट गिराया। (35)
  • कर्ण को संकट में पड़ा देख उसका छोटा भाई सुदृढ़ धनुष हाथ में लेकर तुरंत ही सुभद्राकुमार का सामना करने के लिये आ पहुँचा। उस समय कुन्‍ती के सभी पुत्र और उनके अनुगामी सैनिक जोर-जोर से गरजने, बाजे बजाने और अभिमन्‍यु की भूरि-भूरि प्रसंशा करने लगे। (36)
इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्‍तर्गत अभिमन्‍युवध पर्व में कर्ण तथा दु:शासन की पराजयविषयक चालीसवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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