महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
1. देवव्रत
आपको मेरी क्या परवाह है? ठीक है, पर शर्त के अनुसार मैं अब नहीं ठहर सकती। हाँ, आपके इस पुत्र को मैं नदी में नहीं फेंकूँगी।" इसके बाद गंगा ने अपना परिचय दिया और बोलीं- "राजन! मैं वह गंगा हूँ जिसका यश ऋषि-मुनि गाते हैं। जिन बच्चों को मैंने नदी की धारा में बहा दिया, वे सात वसु थे। महर्षि वसिष्ठ ने आठों वसुओं को मर्त्यलोक में जन्म लेने का शाप दिया था। वसुओं ने मुझसे प्रार्थना की थी कि मैं उनकी माँ बनूँ और जन्मते ही उनको नदी की धारा में फेंक दूँ, ताकि मर्त्यलोक में अधिक समय जीवन न बिताना पड़े। मैंने उनकी प्रार्थना मान ली। तुम्हें लुभाया और उनको जन्म दिया। यह अच्छा ही हुआ कि उन्होंने तुम्हारे जैसे राजा को पिता के रूप में पाया। तुम भी भाग्यशाली हो जो ये आठ वसु तुम्हारे पुत्र हुए। तुम्हारे इस अंतिम बालक को मैं कुछ दिन पालूंगी फिर पुरस्कार के रूप में तुम्हें सौंप दूँगी।’’ यह कहकर गंगा देवी बच्चे को साथ लेकर चली गई। यही बच्चा आगे चलकर इतिहास में भीष्म पितामह के नाम से विख्यात हुआ। एक दिन आठों वसु अपनी पत्नियों सहित हंसते-खेलते उस पहाड़ी के पास विचरण कर रहे थे जहाँ वसिष्ठ मुनि का आश्रम था। ऋतु सुहावनी थी और पहाड़ी का दृश्य मनोहर। वसु-दंपती निकुंजों और पहाड़ों पर विचरण करते हुए अपने खेलकूद में मग्न थे कि इतने में वसिष्ठ मुनि की गाय नंदिनी अपने बछड़े के साथ चरती हुई उधर से आ निकली। उसके अलौकिक सौन्दर्य एवं दैवी छवि को देखकर वसु-पत्नियाँ मुग्ध हो गईं और उस मोदमयी गौ की प्रशंसा करने लगीं। एक वसु-पत्नी का मन उसको देखकर ललचा गया। उसने अपने पति प्रभास से अनुरोध किया कि इस गाय को मेरे लिए पकड़ लाओ। सुनकर प्रभास हंसा। बोला- "प्रिये! हम लोग तो देवता हैं। दूध की हमें आवश्यकता ही क्या है? फिर हम महर्षि वसिष्ठ के तपोवन में हैं और यह उनकी प्यारी गाय नंदिनी है। इस गाय का दूध मनुष्य पियें तो चिरजीवी बन सकते हैं। हम तो खुद ही अमर ठहरे! इसे लेकर क्या करेंगे? और फिर व्यर्थ ही मुनिवर का क्रोध क्यों मोल ले!" इस प्रकार प्रभास ने अपनी पत्नी को समझाया, लेकिन वह न मानी। बोली- "यह गाय मैं अपने लिये थोड़े लेना चाह रही हूँ, यहाँ मर्त्यलोक में मेरी एक सहेली है, उसके लिये ले रही हूँ। महर्षि वसिष्ठ इस समय तो अपने आश्रम में हैं नहीं, उनके आने से पहले ही हमें इसे उड़ा लेना चाहिए। मेरे लिए क्या तुम इतना भी नहीं कर सकते?" प्रभास अपनी पत्नी की जिद टाल न सका। दूसरे वसुओं की सहायता से नंदिनी और उसके बछड़े को वह भगा ले गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
अध्याय | अध्याय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज