महाभारत कथा -चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
45.विराट की रक्षा
यह भी सुनने में आया कि किसी स्त्री के कारण यह वध हुआ। यह खबर आते ही दुर्योधन का माथा ठनका कि हो न हो कीचक का वध भीम ने ही किया होगा और वह भी द्रौपदी के कारण; महाबली कीचक को मारना सिर्फ दो ही व्यक्तियों के बूते का काम है, भीम और बलराम। बलराम का कीचक से कोई बैर नहीं। इसलिए निश्चय ही भीम ने कीचक को मारा होगा। दुर्योधन ने इस प्रकार अन्दाज लगाया। उसने अपना यह विचार राजसभा में भी प्रकट करते हुए कहा- "मेरा खयाल है कि पांडव विराट के नगर में ही कहीं छिपे हुए हैं। वैसे भी विराट मेरी मित्रता अस्वीकार करते आये हैं। इस कारण हमें ऐसे उपाय करने चाहिए जिनसे इस बात का ठीक-ठीक पता लग जाये कि पांडव विराट के यहाँ शरण लिये हुए हैं या नहीं। मुझे तो यही ठीक लगता है कि मत्स्य देश पर हमला कर देना चाहिए और विराट की गायों को चुरा लाना चाहिए। यदि पांडव वहाँ होंगे तो निश्चय ही विराट की तरफ से हमसे लड़ने आवेंगे। यदि हम अज्ञातवास की अवधि पूरी होने से पहले ही उनका पता लगा लेंगे तो शर्त के अनुसार उन्हें बारह बरस के लिए फिर वनवास करना होगा। यदि पांडव विराट के यहाँ न भी हों तो भी हमारा कुछ बिगड़ेगा नहीं। हमारे तो दोनों हाथों लड्डू हैं।" दुर्योधन की यह बात सुनकर त्रिगर्त देश का राजा सुशर्मा उठा और बोला- "राजन! मत्स्य देश के राजा विराट मेरे शत्रु हैं। कीचक ने भी मुझे बहुत तंग किया था। अब जबकि कीचक की मृत्यु हो चुकी है, मत्स्य राज की शक्ति नहीं के बराबर समझनी चाहिए। इस अवसर पर लाभ उठाकर मैं उससे अपना पुराना बैर भी चुका लेना चाहता हूँ। अत: मुझे इस बात की अनुमति दी जाये कि मैं मत्स्य देश पर आक्रमण कर दूं।" कर्ण ने सुशर्मा की बात का अनुमोदन किया और फिर सबकी राय से यह निश्चय किया गया कि विराट के राज्य पर दोनों ओर से आक्रमण किया जाये। राजा सुशर्मा अपनी सेना लेकर उसका मुकाबला करने जायें तब ठीक इसी मौके पर उत्तर की ओर से दुर्योधन अपनी सेना लेकर अचानक विराट नगर पर छापा मार दें। इस योजना के अनुसार राजा सुशर्मा ने दक्षिण की ओर से मत्स्य देश पर आक्रमण कर दिया। मत्स्य देश के दक्षिणी हिस्से में त्रिगर्तराज की सेना छा गई और गायों के झुण्ड-के-झुण्ड सुशर्मा की फौज के कब्जे में आ गये। फौज ने लहलहाते खेत उजाड़ डाले, बाग-बागीचों को तबाह कर दिया। ग्वाले और किसान जहाँ-तहाँ भाग खड़े हुए और राजा विराट के दरबार में जाकर पुकार करने लगे। विराट को बड़ा खेद हुआ कि महाबली कीचक ऐसे अवसर पर नहीं रहा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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