महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
कौरवों का आक्रमण
विराट बोले- "मैं इसका प्रायश्चित करना चाहता हूँ। धर्मराज मैं चाहता हूँ कि अपनी बेटी का विवाह महाबली अर्जुन के साथ कर दूं।" अर्जुन बोले- "नहीं महाराज! उत्तरा मेरी बेटी के बराबर है।" युधिष्ठिर ने कहा- "अर्जुन ठीक कहते हैं मत्स्य नरेश, पर हम आप के इस उत्तम प्रस्ताव को अवश्य स्वीकार करेंगे। हम दोनों के कुलों को घनिष्ठ सम्बन्ध में बंधना चाहिए, यह मैं भी मानता हूँ। मैं अर्जुन के बेटे अभिमन्यु के लिये आपकी बेटी उत्तरा का सम्बन्ध स्वीकार करता हूँ।" इस प्रकार पाण्डव के लिए हंसी-खुशी के दिन आ गये। श्रीकृष्ण को सूचना दी गयी कि सुभद्रा अभिमन्यु के साथ विराट नगर पहुँच कर पाण्डवों से मिलें। और विराट नगर की प्रजा तो यह जानकर खुशी से बावली हो उठी कि प्रतापी पाण्डव ने अज्ञातवास का वर्ष उनके साथ बिताया था। सारा विराट नगर नाच-रंग और अभिमन्यु-उत्तरा के विवाह की तैयारियों में मगन हो गया। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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