महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
वन गमन
इन्द्र बोले- "अरे भाई! उसके पास बदला लेने वाले जितने उपाय हैं, वह सब मैं जानता हूँ। अगर वह अर्जुन का बुरा भी करेगी तो भी मैं उसे भले में बदल दूंगा।" चित्रसेन हाथ जोड़कर बोला- "देवराज सर्वज्ञ हैं। मैंने जो कुछ कहा वह दुनियादारी की विचार था। मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ। उर्वशी और अर्जुन के मिलने की सुन्दर व्यवस्था मैं कर दूंगा।" एक दिन चित्रसेन के नन्दन कानन में एक बड़े ही मनोरम स्थल पर उर्वशी को अपना नाच दिखाने के लिए आमंत्रित किया। उससे कह दिया कि मेरे और अर्जुन के सिवा वहाँ कोई और न होगा। उर्वशी इस समाचार से बड़ी प्रसन्न हुई, उसने गन्धर्वाचार्य का बड़ा उपकार माना। चित्रसेन बोले- "मैं केवल यही चाहता हूँ कि तुम उसे केवल नाच से रिझा लो, बल्कि यह चाहता हूँ कि तुम उसे अपनी कला से इतना रिझाओं कि वह तुम्हारे साथ-साथ नाचने के लिए तड़प उठे।" उर्वशी मुस्करा कर बोली- "यह आपने मेरे ही स्वार्थ का सुझाव दिया है। अच्छी बात है मैं आपको अपना यह कमाल भी दिखला दूंगी।" सचमुच, उर्वशी ने जो कहा था, वह कर दिखलाया। उसने पाण्डव अर्जुन को मीठी-मीठी चुनौतियों दी। उसने कहा- "राजकुमार! आप तो मनुष्य लोक से लेकर हमारे इस देव लोक तक की कलाओं के पारखी हैं, देवराज की सभा में दो एक बार आपने मेरा नृत्य देखा भी है, इसीलिए आप ही बतलाइए कि आप जो कठिन और सुन्दर नृत्य समझते हो वह मुझे बतलाइये, मैं आपको वही नाच दिखाऊंगी।" उर्वशी मुस्कुराई, फिर बोली- "नाचती हुई मछली की आंख भेदने वाले निशानेबाज अर्जुन की मैंने बड़ी प्रशंसा सुन रखी है, आज उर्वशी के घुंघरूओं की भी वैसी ही परीक्षा लीजिए।" अर्जुन इस चुनौती के चक्कर में फंस गये। उन्होंने बड़े कठिन-कठिन भाव बतलाये और उर्वशी ने वे सब नाच कर दिखला दिये। होते होते अर्जुन के मन में उर्वशी की कला के लिए बड़ा ही आदर, प्रशंसा और प्रेमपूर्ण भाव उदित हुआ। उसने कहा- "उर्वशी देवी! मैंने आपको जो भाव बतलाये वह कोई भी स्त्री नाच कर नहीं दिखला सकती। आपने तो अपने शरीर के हर अंग को मोम बना लिया है जिस अंग को जैसा चाहती हैं, वैसी गति दे लेती हैं।" उर्वशी हाथ जोड़कर बोली- "राजकुमार! आपने जो भाव बतलाये, मैं उससे भी कठिन भावों पर नाच सकती हूँ।" अर्जुन मुग्ध होकर बोला- "तब फिर श्रृंगार भाव को इसी समय दिखलाने की कृपा कीजिए।" उर्वशी बोली- "मैं अवश्य दिखलाऊंगी, पर मेरी भी एक शर्त है।" |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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