महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
जुए में पराजय
दुर्योधन यह सुनकर तड़प उठा, चोट खाये शेर की तरह वह उछल कर अपने आसन से उठा और बोला- "हे विदुर! हम अब तुम्हारी बगुला भक्ति को अच्छी तरह से पहचान गये। तुम हमारा नमक खाते हो और हमीं को आंखे दिखा रहे हो! हम स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर से पूछते हैं कि क्या वे अब भी हमारी इस जुए की चुनौती स्वीकार करते हैं या कायर की तरह रण से भाग जाना चाहते हैं?" विदुर फिर बोल उठे- "महाराज! किसी की सज्जनता का अनुचित लाभ उठाना धार्मिक और न्यायिक पुरुषों का कार्य नहीं होता। यह जुआ मनोरंजन के लिए नहीं खेला जा रहा है। यह आपके बेटों के द्वारा द्वेषवश खेला जा रहा है। दुर्योधन चालाक शकुनि के सहारे युधिष्ठिर को दांव प्रति दांव हरा रहा है और आप सुन-सुन कर प्रसन्न हो रहे हैं। याद रखिये यह जुआ नहीं, विष-बीज है, इससे आपके कुल का नाश हो जायगा।" जब विदुर इस प्रकार आवेश में बोल रहे थे तो काने शकुनि मामा के इशारे पर दुर्योधन और दुःशासन आदि कौरव भाई युधिष्ठिर को चुनौतियां देने लगे। कोई कहता- "हार मान लो युधिष्ठिर भैया"! धर्मराज को आड़ देने के लिए धर्मात्मा विदुर जी सामने आ गये हैं। इस पर दूसरा भाई कहता- "हां, हां, अब तुम्हारे पास धरा क्या है, हार मान लो न।" काने शकुनि मामा अपनी एक आंख नचाते हुए बोले- "वाह-वाह! तुमने हमारे राजा युधिष्ठिर को कोई कंगाल समझ रखा है जो अभी से हार मान लें? अभी तो इनके पास एक अनमोल रत्न है द्रौपदी।" सुनते ही अर्जुन की बाहें क्रोधवश फड़कने लगी। भीम से तो बैठा नहीं जा रहा था, ताव के मारे वह बार-बार ताल ठोंककर उठ-उठ पड़ते थे। तभी युधिष्ठिर बोले- 'हस्तिनापुर की यह प्रख्यात और प्राचीन राज-सभा नीति और अनीति दोनों ही के उदाहरण अपने इतिहास में रखे। जब स्वयं मामा शकुनि अपनी बहू को दांव पर लगाने के लिए मुझे चुनौती दे रहे हैं तो उसे अस्वीकार करके मैं अपनी धर्मनीति से डिग जाऊंगा। यहाँ चाचा धृतराष्ट्र जी और स्वयं पितामह भीष्म जी विराजमान हैं, उनके सामने चुनौती स्वीकार न करके मैं कदाचित् उन्हें कलंकित करूंगा। इस लिए आओ मामा फेंको पांसा, मैंने द्रौपदी को दांव पर लगाया।" सुनते ही भीम और अर्जुन फिर भाई के अनुशासन के आगे सिर झुकाकर बैठ गये। पांसा पड़ते ही राजकुमारों की सभा में शोर मच गया। युवा कौरव उन्मत्त होकर, सभा के सारे शिष्टाचार भूल कर नाच उठे। धर्मराज महारानी द्रौपदी को भी दांव पर हार चुके थे। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज