महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
इन्द्र की कथा
सरदार कुशिक कश्यप की यह चुनौती युवक विद्रोहियों के जासूसों ने आनन-फानन में ही इन्द्र के कानों तक पहुँचा दी। इन्द्र तो इस मौके की तलाश में पहले ही बैठा था। देवों की सेना सजकर मैदान में जम भी न पायी थी कि लड़के उन पर अचानक बिजली की तरह टूट पड़े। बचे खुचे लोग किले में दुम दबाकर भाग गये। किले मिट्टी के बनते थे उनकी दीवारें खूब चौड़ी-चौड़ी होती थीं और उनके चारों ओर पानी से भरी हल्की खाई होती थी। देवलोग अपने नदियों पर मिट्टी के पक्के बांध भी बांधा करते थे। जिससे नदी उनके आदेशानुसार उनके किले के किनारे से होकर उन इलाकों में बहती थी जिसे देव सींचना चाहते थे। इन्द्र ने अपने बहादुरों से कहा- “मित्रो, अगर हम इस बांध की दीवार को तोड़ दें तो जमा किया हुआ पानी सीधे इनके किले की दीवारों से टकरायेगा और तोड़ देगा। मित्रों, तुम्हारे इन्द्र का यह नारा है कि बाढ़ लाओ। देवों के नगरों को जला दो और बिजली बनकर इन पर अचानक टूटो। इन तीन नारों को यदि तुम बराबर याद रखोगे और चूक नहीं करोगे तो अत्याचारी शत्रु तुम्हारे आगे घुटने टेक कर धरती पर अपनी लम्बी नाक घिसने लगेंगे।” इसके बाद बड़ा युद्ध हुआ। किला ध्वस्त हुआ। देव लोगों के परिवार डूबे। बचे-खुचों को इन्द्र की सेना ने लूटा और इन्द्र की आज्ञा से उनकी बस्तियों को जला डाला। कुशिक को मारते ही इन्द्र का नाम सारी देव जाति में सूरज की धूप सा फैल गया। सब लोग उससे डरने लगे। फिर तो इन्द्र और उसकी सेना जगह-जगह बांधों को तोड़कर देव-जातियों की बस्तियों पर बाढ़ लाने लगी। जगह-जगह उनकी बस्तियां जलाई जाने लगीं। देवों में त्राहि-त्राहि मचने लगी। उ स समय देवों के मुखिया आदित्य विष्णु बड़े समझदार और बड़े परम आचरण के थे। उन्होंने इन्द्र को बुलाया और बड़े प्यार से समझाया और कहा- “हे पुत्र! मैं तुम्हारी न्यायबुद्धि की प्रशंसा करता हूँ और तुम्हारी शक्ति से भी प्रभावित हूँ। बेटे अपने क्रोध को विवेकयुक्त बनाओ। तुम देवों की अन्यायवृत्ति के शत्रु हो, उनके शत्रु मत बनो। इन्द्र तुम भी अपने पिता के कारण हमारे कश्यप कुल के देवपुत्र हो। इसलिए स्वजाति का संहार मत करो। तुम मनु के शासन के महासेनाधिकारी बनो।” इन्द्र ने विष्णु भगवान की आज्ञा के आगे अपना सिर सादर झुका दिया। इस प्रकार पाण्डवों को बहुत उपदेश देते हुए भीष्म पितामह ने अपने अन्तिम दिन बिताये और सर्दी के दिनों में सूर्य उत्तरायण हुए तब उन्होंने अपनी इह लीला समाप्त कर दी। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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