महाभारत कथा -अमृतलाल नागर
विदुर की चतुराई
हिडिम्बा काली अवश्य थी पर देखने में शायद बुरी न थी। इसलिए भीम भी उसकी बातों से प्रसन्न होकर उस पर रीझ गये। तब हिडिम्बा ने सच-सच बात बतलाई और कहा कि इन सबको लेकर भाग चलो, नहीं तो मेरा भाई अभी आकर तुम सबको मार डालेगा। भीम ने कहा- "चिंता न करो। कहीं तुम्हारा भाई ही हमारे हाथों से चटनी न बन जाय।" सचमुच यही हुआ भी। जब हिडिम्बा को लौटने में देर लगी तो हिडिम्ब क्रोध में भरकर वहाँ आ पहुँचा। भीम ने उसे यों देखा जैसे शेर चूहे को देखता है। दोनों ही दहाड़ने लगे। करारी उठा-पटक हुई, पर हिडिम्ब राक्षस भीमसेन की शक्ति का मुकाबला न कर सका। भीमसेन ने उसे उठाकर इतनी जोर से पटका कि हिडिम्ब के प्राण ही निकल गये। पाण्डवों ने जंगल में कुछ दिन अच्छी तरह बिताये। हिडिम्बा गर्भवती हो गई। तब कुन्ती ने पाण्डवों को कहीं और चलने की आज्ञा दी। जंगल पर करने के बाद वे लोग एक दिन संध्या के समय एकचक्रा नाम की नगरी में पहुँचे। वह नगर हर तरह से सुन्दर लग रहा था। परन्तु सांझ होते-होते वहाँ पर चारों ओर मुर्दनी सी छा जाती थी। सड़के सुनसान दिखाई पड़तीं और घरों के द्वारा, जिस गली में जाओं वहीं बन्द मिलते। बेचारी कुन्ती माता से तो बहुत दूर चला नही जाता था, इसलिए जो घर पहुँचते ही पास दिखाई पड़ा, राजकुमार युधिष्ठिर ने उसी का कुण्डा खट-खटाया। एक ब्राह्मणी ने द्वार खोला। कुन्ती ने ब्राह्मणी से अपने बेटों के वास्ते रात भर के लिए जगह मांगी। बेचारी ब्राह्मणी भी किसी कारण से बहुत दुखी दिखलाई देती थी। कुन्ती ने देखा कि घर में रहने वाले लोग तो अधिक नहीं हैं, पर ब्राह्मणी भट्टियों पर बड़े-बड़े देग और कढ़ाव चढाकर मनों स्वादिष्ट भोजन सामग्री तैयार कर रही थी। होते-करते कुन्ती माता को पता चला कि इस नगरी के पास वाले जंगल में वक जाति के क्रूर कठोर और मध्य ऐशियाई असुरों का डेरा पड़ा है। यह वक शब्द ही अब बेक या बेग कहलाते हैं और यह शब्द अब कोरा जातिवाचक न रह कर समाजवाचक बन गया है। इसी वक जाति के मनुष्याहारी राक्षस सरदार ने एकचक्रा नगरी के राजा से यह समझौता किया था कि राजधानी के हर घर से बारी-बारी से रोज एक पुरुष और उसके साथ एक छकड़ा भर स्वादिष्ट भोजन सामग्री अगर उसे प्रतिदिन न भेजी गई तो वह पूरी राजधारी को तहस-नहस कर डालेगा। उसी समझौते के कारण आज ब्राह्मणी के बेटे की बारी आई थी। कुन्ती ने यह सब सुना। उन्होंने अपने बेटों से सलाह की और फिर ब्राह्मणी से कहा कि तुम तनिक मत घबराओ। तुम्हारे केवल एक ही बेटा है और मेरे पांच हैं। मैं अपने एक बेटे को तुम्हारे बेटे की जगह राक्षस के पास भेज दूंगी। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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