महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 26 श्लोक 25-29

षड्विंश (26) अध्‍याय: उद्योग पर्व (सेनोद्योग पर्व)

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महाभारत: उद्योग पर्व: षड्विंश अध्याय: श्लोक 25-29 का हिन्दी अनुवाद

धृतराष्‍ट्र के पुत्र तभी तक जीवित हैं, जब तक कि वे युद्ध में गाण्‍डीव धनुष का टंकारघोष नहीं सुन रहे हैं। दुर्योधन जब तक क्रोध में भरे हुए भीमसेन को नहीं देख रहा है, तभी-तक अपने राज्‍य प्राप्ति संबंधी मनोरथ को सिद्ध हुआ समझे। तात संजय! जब तक भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहनशील वीर सहदेव जीवित हैं, तब तक इन्‍द्र भी हमारे ऐश्र्वर्य का अपहरण नहीं कर सकता।

सूत! यदि राजा धृतराष्ट्र अपने पुत्रों के साथ यह अच्‍छी तरह समझ लेंगे कि पाण्‍डवों को राज्‍य न देने में कुशल नहीं हैं तो धृतराष्ट्र के सभी पुत्र समराग्नण में पाण्‍डवों की क्रोधाग्रि से दग्‍ध होकर नष्‍ट होने से बच जायंगे। संजय! हम लोगों को कौरवों के कारण पहले कितना क्‍लेश उठाना पड़ा है, यह तुम भली-भाँति जानते हो तथापि मैं तुम्‍हारा आदर करते हुए उनके सब अपराधों को क्षमा कर सकता हूँ।

दुर्योधन आदि कौरवों ने पहले हमारे साथ कैसा बर्ताव किया है और उस समय हम लोगों का उनके साथ कैसा बर्ताव रहा है, यह भी तुमसे छिपा नहीं है। अब भी वह सब कुछ पहले के ही समान हो सकता है। जैसा तुम कह रहे हो, उसके अनुसार मैं शांति धारण कर लूंगा। परंतु इंद्रप्रस्‍थ में पूर्ववत मेरा ही राज्‍य रहे और भरतवंशशिरोमणि सुयोधन मेरा वह राज्‍य मुझे लौटा दे।


इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अन्‍तर्गत संजययानपर्व में युधिष्ठिरविषयक छब्‍बीसवां अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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