महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 165 श्लोक 23-33

पंचषष्‍टयधिकशततम (165) अध्‍याय: उद्योग पर्व (रथातिरथसंख्‍या पर्व)

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महाभारत: उद्योग पर्व: पंचषष्‍टयधिकशततम अध्याय: श्लोक 23-33 का हिन्दी अनुवाद
  • भरतश्रेष्‍ठ! मैं तो तुम्‍हारी सम्‍पूर्ण सेना का प्रधान सेनापति ही हूँ। अत: पाण्‍डवों को कष्‍ट देकर शत्रु सेना के सैनिकों का संहार करूंगा। (23)
  • मैं अपने मुंह से अपने ही गुणों का बखान करना उचित नहीं समझता। तुम तो मुझे जानते हो। शस्‍त्रधारियों में श्रेष्‍ठ भोजवंशी कृतवर्मा तुम्‍हारे दल में अतिरथी वीर हैं। (24)
  • ये युद्ध में तुम्‍हारे अभीष्‍ट अर्थ की सिद्धि करेंगे। इसमें संशय नहीं है। बड़े-बड़े शस्‍त्रवेत्‍ता भी इन्‍हें परास्‍त नहीं कर सकते। इनके आयुध अत्‍यन्‍त दृढ़ हैं और ये दूर के लक्ष्‍य को भी मार गिराने में समर्थ हैं। जैसे देवराज इंद्र दानवों का संहार करते हैं, उसी प्रकार ये भी पाण्‍डवों की सेना का विनाश करेंगे। (25)
  • महाधनुर्धर मद्रराज शल्‍य को भी मैं अतिरथी मानता हूं, जो प्रत्‍येक युद्ध में सदा भगवान श्रीकृष्ण के साथ स्‍पर्धा रखते हैं। (26)
  • वे अपने सगे भानजों नकुल-सहदेव को छोड़कर अन्‍य सभी पाण्‍डव महारथियों से समरभूमि में युद्ध करेंगे। तुम्‍हारी सेना के इन वीरशिरोमणि शल्‍य को अतिरथी ही समझता हूँ। ये समुद्र की लहरों के समान अपने बाणों द्वारा शत्रु पक्षके सैनिकों को डुबाते हुए से युद्ध करेंगे। (27)
  • सोमदेव के पुत्र महाधनुर्धर भूरिश्रवा भी अस्‍त्रविधा के पण्डित और तुम्‍हारे हितैषी सुदृढ हैं। ये रथियों के यूथपतियों के भी यूथपति हैं, अत:तुम्‍हारे शत्रुओं की सेना का महान संहार करेंगे। (28-29)
  • महाराज! सिन्‍धुराज जयद्रथ को मैं दो रथियों के बराबर समझता हूँ। ये बड़े पराक्रमी तथा रथी योद्धाओं में श्रेष्‍ठ हैं। राजन! ये भी समरागंण में पाण्‍डवों के साथ युद्ध करेंगे। (30)
  • नरेश्‍वर! द्रौपदीहरण के समय पाण्‍डवों ने इन्‍हें बहुत कष्‍ट पहुँचाया था। उस महान क्‍लश को याद करके शत्रु वीरों का नाश करने वाले जयद्रथ अवश्‍य युद्ध करेंगे। (31)
  • राजन! उस समय इन्‍होंने कठोर तपस्‍या करके युद्ध में पाण्‍डवों से मुठभेड कर सकने का अत्‍यन्‍त दुर्लभ वर प्राप्‍त किया था। (32)
  • तात! ये रथियों में श्रेष्‍ठ जयद्रथ युद्ध में उस पुराने वैर को याद करके अपने दुश्‍मन प्राणियों की भी बाजी लगाकर पाण्‍डवों के साथ संग्राम करेंगे। (33)
इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योग पर्व के अन्‍तर्गत रथातिरथसंख्‍यान पर्वमें एक सौ पैंसठवां अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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