महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 141 श्लोक 48-57

एकचत्‍वारिंशदधिकशततम (141) अध्‍याय: उद्योग पर्व (भगवद्-यान पर्व)

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महाभारत: उद्योग पर्व: एकचत्‍वारिंशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 48-57 का हिन्दी अनुवाद
  • जनार्दन! जब दोनो पांचाल राजकुमार धृष्टद्युम्न और शिखण्‍डी द्रोणाचार्य और भीष्‍म को मार गिरायेंगे, उस समय इस रण यज्ञ का अवसान[1] कार्य सम्‍पन्‍न होगा। (48)
  • माधव! जब महाबली भीमसेन दुर्योधन का वध करेंगे उस समय धृतराष्ट्र पुत्र का प्रारम्‍भ किया हुआ यह यज्ञ समाप्‍त हो जायेगा। (49)
  • केशव! जिनके पति, पुत्र और संरक्षक मार दिये गये होंगे, वे धृतराष्ट्र के पुत्रों और पौत्रों की बहुएँ जब गांधारी के साथ एकत्र होकर कुतों, गीधों और कुरर पक्षियों से भरे हुए समरांगण मे रोती हुई विचरेंगी, जनार्दन! वही उस यज्ञ का अवभृथस्‍नान होगा। (50-51)
  • क्षत्रिय शिरोमणि मधुसूदन! तुम्‍हारे इस शान्तिस्‍थापन के प्रयत्‍न से कहीं ऐसा न हो कि विद्यावृद्ध और वयोवृद्ध क्षत्रियगण व्‍यर्थ मृत्‍यु को प्राप्‍त हों और युद्ध में शस्‍त्रों से होने-वाली मृत्‍यु से वंचित रह जायें। (52)
  • केशव! कुरुक्षेत्र तीनों लोकों के लिये परम पुण्‍यतम तीर्थ है। यह समृद्धिशाली क्षत्रिय समुदाय वही जाकर शस्‍त्रों के आघात से मृत्‍यु को प्राप्‍त हो। (53)
  • कमलनयन वृष्णिनन्‍दन! आप भी इसकी सिद्धि के लिये ही ऐसा मनोवांच्छित प्रयत्‍न करें, जिससे यह सारा-का-सारा क्षत्रिय समूह स्‍वर्गलोक में पहुँच जाये। (54)
  • जनार्दन! जब तक ये पर्वत और सरिताएँ रहेंगी, तब-तक इस युद्ध की कीर्ति-कथा अक्षय बनी रहेगी। (55)
  • वार्ष्‍णेय! ब्राह्मण लोग क्षत्रियों के समाज में इस महाभारतयुद्ध का, जिसमें राजाओं के सुयशरूपी धन का संग्रह होने वाला है, वर्णन करेंगे। (56)
  • शत्रुओं को संताप देने वाले केशव! आप इस मन्‍त्रणा को सदा गुप्‍त रखते हुए ही कुन्‍तीकुमार अर्जुन को मेरे साथ युद्ध करने के लिये ले आवें। (57)
इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्वके अन्‍तर्गत भगवाद्यानपर्व में कर्णके द्वारा अपने निश्चित विचार का प्रतिपादनविषयक एक सौ इकतालीसवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बीच-बीच में होने वाला विराम

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