षडशीतितम (86) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: षडशीतितम अध्याय: श्लोक 17-21 का हिन्दी अनुवाद
(श्रीकृष्ण कहते हैं-) 'कुन्तीनन्दन नरेश्वर! उस मनुष्य ने अर्जुन की कही हुई यह एक बात और बतायी थी, उसे भी मेरे मुंह से सुन लीजिये। हम लोगों के इस यज्ञ में मणिपुर का राजा बभ्रुवाहन भी आवेगा, जो महान् तेजस्वी और मेरा परम प्रिय पुत्र है। प्रभो! उसकी सदा मेरे प्रति बड़ी भक्ति और अनुरक्ति रहती है। इसलिये आप मेरी अपेक्षा से उसका विधिपूर्वक विशेष सत्कार करें।' अर्जुन का यह संदेश सुनकर धर्मराज युधिष्ठिर ने उसका हृदय से अभिनन्दन किया और इस प्रकार कहा।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में अश्वमेध-यज्ञ का आरम्भ विषयक छियासीवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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