पंचशीतितम (85) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: पंचशीतितम अध्याय: श्लोक 36-42 का हिन्दी अनुवाद
राजा युधिष्ठिर के उस महान यज्ञ में अनेक देशों के लोग जुटे हुए थे। राजन! सारा जम्बूद्वीप ही वहाँ एक स्थान में स्थित देता था। भरतश्रेष्ठ! वहाँ हजारों प्रकार की जातियों के लोग बहुत–से पात्र लेकर उपस्थित होते थे। सैकड़ों और हजारों मनुष्यों वहाँ ब्राह्मणों को तरह-तरह के भोजन परोसते थे। वे सब-के-सब सोने के हार और विशुद्ध मणिमय कुण्डलों से अलंकृत होते थे। राजा के अनुयायी पुरुष वहाँ ब्राह्मणों को तरह–तरह के अन्न-पान एवं राजोचित भोजन अर्पित करते थे।
इस प्रकार श्री महाभारत आश्वमेधिक पर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में अश्वमेधिक यज्ञ का आरम्भ विषयक पचासीवां अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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