अष्टाविंश (28) अध्याय: आश्रमवासिक पर्व (आश्रमवास पर्व)
महाभारत: आश्रमवासिक पर्व: अष्टाविंश अध्याय: श्लोक 19-25 का हिन्दी अनुवाद
भरतश्रेष्ठ! अब तुम्हें भी मैं शीघ्र ही कल्याण का भागी बनाऊँगा। बेटा! तुम्हें ज्ञात होना चाहिये कि इस समय मैं तुम्हारे संशयों का निवारण करने के लिये आया हूँ। पूर्वकाल के किन्हीं महर्षियों ने संसार में अब तक जो चमत्कारपूर्ण कार्य नहीं किया था, वह भी आज मैं कर दिखाऊँगा। आज मैं तुम्हें अपनी तपस्या का आश्चर्यजनक फल दिखलाता हूँ। निष्पाप महीपाल! बताओ, तुम मुझसे कौन-सी अभीष्ट वस्तु पाना चाहते हो? किसको देखने, सुनने अथवा स्पर्श करने की तुम्हारी इच्छा है? मैं उसे पूर्ण करूँगा।"
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्रमवासिक पर्व के अन्तर्गत आश्रमवास पर्व में व्यासवाक्य विषयक अट्ठाईसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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