एकोनत्रिंशदधिकद्विशततमम (229) अध्याय: आदि पर्व (मयदर्शन पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: एकोनत्रिंशदधिकद्विशततम अध्याय: श्लोक 16-22 का हिन्दी अनुवाद
शांर्गक बोले- अभी हम बिना पंखों के बच्चे हैं, हमारा शरीर मांस का लोथड़ा मात्र है। चूहा मांसभक्षी जीव है, वह हमें नष्ट कर देगा। इस भय को देखते हुए हम इस बिल में प्रवेश नहीं कर सकते। हम तो यह सोचते हैं कि क्या उपाय हो, जिससे अग्नि हमें न जलावे, चूहा हमें न मारे एवं हमारे पिता का संतानोत्पादन विषयक प्रयत्न निष्फल न हो और हमारी माता भी जीवित रहे? बिल में चूहे से हमारा विनाश हो जायगा और आकाश में उड़ने पर अग्नि से। इन दोनों परिणामों पर विचार करने से हमें आग से जल जाना श्रेष्ठ जान पड़ता है, चूहे का भोजन बनना नहीं। यदि हम लोगों को बिल में चूहे ने खा लिया तो वह हमारी निन्दित मृत्यु होगी। आग से जलकर शरीर का परित्याग करने के लिये शिष्ट पुरुषों की आज्ञा है। इस प्रकार श्रीमहाभारत आदि पर्व के अन्तर्गत मयदर्शन पर्व में जरिताविलाप विषयक दो सौ उन्तीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।div>
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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