द्विषष्टयधिकशततम (162) अध्याय: आदि पर्व (बकवध पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: द्विषष्टयधिकशततम अध्याय: श्लोक 18-28 का हिन्दी अनुवाद
भीमसेन उस राक्षस को खींचते थे तथा राक्षस भीमसेन को खींच रहा था। इस खींचा-खींची में वह नरभक्षी राक्षस बहुत थक गया। उन दोनों के महान् वेग से धरती जोर से कांपने लगी। उन दोनों ने उस समय बड़े-बड़े वृक्षों के भी टुकड़े-टुकड़े कर डाले। उस नरभक्षी राक्षस को कमज़ोर पड़ते देख भीमसेन उसे पृथ्वी पर पटककर रगड़ने और दोनों घुटनों से मारने लगे। तदनन्तर उन्होंने अपने एक घुटने से बलपूर्वक राक्षस की पीठ दबाकर दाहिने हाथ से उसकी गर्दन पकड़ ली और बायें हाथ से कमर का लंगोट पकड़कर उस राक्षस को दुहरा मोड़ दिया। उस समय वह बड़ी भयानक आवाज में चीत्कार कर रहा था। राजन्! भीमसेन के द्वारा उस घोर राक्षस की जब कमर तोड़ी जा रही थी, उस समय उसके मुख से (बहुत-सा) खून गिरा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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