सप्तञ्चाशदधिकशततम (157) अध्याय: आदि पर्व (बकवध पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: सप्तञ्चाशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 33-38 का हिन्दी अनुवाद
कल्याणस्वरुप हृदयेश्वर! बहुत-सी स्त्रियों से विवाह करने वाले पुरुषों को भी पाप नहीं लगता। परंतु स्त्रियों को अपने पूर्वपति का उल्लंघन करने पर बड़ा भारी पाप लगता है। इन सब बातों को विचार करके और अपने देह के त्याग को निन्दित कर्म मानकर आप अब शीघ्र ही अपने को, अपने कुल को और इन दोनों बच्चों को भी संकट से बचा लीजिये। वैशम्पायन जी कहते हैं- भारत! ब्राह्मणी के यों कहने पर उसके पति ब्राह्मणदेवता अत्यन्त दुखी हो उसे हृदय से लगाकर उसके साथ ही धीरे-धीरे आंसू बहाने लगे। इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्तर्गत बकवध पर्व में ब्राह्मणी वाक्यविषयक एक सौ सतावनवां अध्याय पूरा हुआ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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