द्विपंचाशदधिकशततम (152) अध्याय: आदि पर्व (हिडिम्बवध पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: द्विपंचाशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 35-44 का हिन्दी अनुवाद
फिर तो दोनों एक-दूसरे से गुथ गये और बलपूर्वक अपनी-अपनी ओर खींचने लगे। हिडिम्ब और भीमसेन दोनों ने बड़ा भारी पराक्रम प्रकट किया। जैसे साठ वर्ष की अवस्था वाले दो मतवाले गजराज कुपित हो परस्पर युद्ध करते हों, उसी प्रकार वे दोनों एक-दूसरे से भिड़कर वृक्षों का तोड़ने और लताओं को खींच-खींचकर उजाड़ने लगे। वे दोनों वृक्ष उठाये बड़े वेग से एक दूसरे की ओर दौड़ते थे, अपनी जांघों को टक्कर से चारों ओर की लताओं को छिन्न-भिन्न किये देते थे तथा गर्जन-तर्जन के द्वारा सब ओर पशु-पक्षियों को आतंकित कर देते थे। बल से उन्मत हुए वे दोनों महाबली योद्धा एक-दूसरे को मार डालना चाहते थे। उस समय भीमसेन और हिडिम्बासुर में बड़ा भयंकर युद्ध चल रहा था। वे दोनों एक-दूसरे की भुजाओं को मरोड़ते और जांघों को घुटनों से दबाते हुए दोनों एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते थे। तदनन्तर वे बड़े जोर से गर्जते हुए परस्पर इस प्रकार प्रहार करने लगे, मानो दो चट्टानें आपस में टकरा रही हों। तत्पश्चात् वे एक दूसरे से गुथ गये और दोनों दोनों को भुजाओं में कसकर इधर-उधर खींच ले जाने की चेष्टा करने लगे। उन दोनों की भारी गर्जना से वे नरश्रेष्ठ पाण्डव माता सहित जाग उठे और उन्होंने अपने सामने बड़ी हुई हिडिम्बा को देखा। इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्तर्गत हिडिम्बवध पर्व में हिडिम्ब-युद्ध विषयक एक सौ बावनवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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