महाभारत आदि पर्व अध्याय 132 श्लोक 19-22

द्वात्रिंशदधिकशततम (132) अध्‍याय: आदि पर्व (सम्भव पर्व)

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महाभारत: आदि पर्व: द्वात्रिंशदधिकशततम अध्‍याय: श्लोक 19-22 का हिन्दी अनुवाद


मनुष्‍यों पर तुम्‍हें इस अस्त्र का प्रयोग किसी भी दशा में नहीं करना चाहिये। यदि किसी अल्‍प तेज वाले पुरुष पर इसे चलाया गया तो यह उसके साथ ही समस्‍त संसार को भस्‍म कर सकता है। तात! यह अस्त्र तीनों लोकों में असाधारण बताया गया है। तुम मन और इन्द्रियों को संयम में रखकर इस अस्त्र को धारण करो और मेरी यह बात सुनो। वीर! यह कोई अमानव शत्रु तुम्‍हें युद्ध में पीड़ा देने लगे तो तुम उसका वध करने के लिये इस अस्त्र का प्रयोग कर सकते हो’।

तब अर्जुन ने ‘तथास्‍तु’ कहकर वैसा ही करने की प्रतिज्ञा की और हाथ जोड़कर उस उत्तम अस्त्र को ग्रहण किया। उस समय गुरु द्रोण ने अर्जुन से पुन: यह बात कही- ‘संसार में दूसरा कोई पुरुष तुम्‍हारे समान धनुर्धर न होगा’।

इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत सम्‍भव पर्व में द्रोणाचार्य का ग्राह से छुटकारा नामक एक सौ बत्तीसवाँ अध्‍याय पूरा हुआ।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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