एकत्रिंशदधिकशततम (131) अध्याय: आदि पर्व (सम्भव पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: एकत्रिंशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 71-79 का हिन्दी अनुवाद
तब युधिष्ठिर ने आचार्य को उत्तर दिया- ‘भगवन्! मैं देख रहा हूं’। मानो दो घड़ी और बिताकर द्रोणाचार्य फिर उनसे बोले। द्रोण ने कहा- क्या तुम इस वृक्ष को, मुझ को अथवा अपने भाइयों का भी देखते हो? यह सुनकर कुन्तीनन्दन युधिष्ठिर उनसे इस प्रकार बोले- ‘हां, मैं इस वृक्ष को, आपको, अपने भाइयों तथा गीध को भी बारंबार देख रहा हूं’। उनका उत्तर सुनकर द्रोणाचार्य मन-ही-मन अप्रसन्न- से हो गये और उन्हें झिड़कते हुए बोले- ‘हट जाओ यहाँ से, तुम इस लक्ष्य को नहीं बींध सकते’। तदनन्तर महायशस्वी आचार्य ने उसी क्रम से दुर्योधन आदि धृतराष्ट्र पुत्रों को भी उनकी परीक्षा लेने के लिये बुलाया और उन सबने उपर्युक्त बातें पूछीं। उन्होंने भीम आदि अन्य शिष्यों तथा दूसरे देश के राजाओं से भी, जो वहाँ शिक्षा पा रहे थे, वैसा ही प्रश्न किया। प्रश्न के उत्तर में सभी (युधिष्ठिर की भाँति ही) कहा- ‘हम सब कुछ देख हैं।’ यह सुनकर आचार्य ने उन सबको झिड़ककर हटा दिया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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