चतुर्दश (14) अध्याय: अनुशासन पर्व (दानधर्म पर्व)
महाभारत: अनुशासन पर्व: चतुर्दश अध्याय: श्लोक 425-429 का हिन्दी अनुवाद
जगत के हितैषी भगवान शंकर ने उमा देवी की ओर देखकर मेरी ओर देखा और फिर इन्द्र पर दृष्टिपात करके स्वयं मुझसे कहा- "शत्रुहन् श्रीकृष्ण! मुझमें जो तुम्हारी पराभक्ति है, उसे सब लोग जानते हैं, अब तुम अपना कल्याण करो, क्योंकि तुम्हारे ऊपर मेरा विशेष प्रेम है। सत्पुरुषों में श्रेष्ठ! यदुकुलसिंह श्रीकृष्ण! मैं तुम्हें आठ वर देता हूँ। तुम जिन परम दुर्लभ वरों को पाना चाहते हो, उन्हें बताओ।"
इस प्रकार श्रीमहाभारत अनुशासन पर्व के अन्तर्गत दानधर्म पर्व में मेघवाहन पर्व आख्यान विषयक चौदहवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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