सप्तचत्वारिंशदधिकशततम (147) अध्याय: अनुशासन पर्व (दानधर्म पर्व)
महाभारत: अनुशासनपर: सप्तचत्वारिंशदधिकशततम अध्याय: श्लोक 60-62 का हिन्दी अनुवाद
वे दोनों दिव्य रूप और दिव्य पराक्रम से सम्पन्न पुरुषसिंह बलराम और श्रीकृष्ण क्रमशः चक्र एवं हल धारण करने वाले हैं। तुम्हें उन दोनों का दर्शन एवं सम्मान करना चाहिये। तपोधनो! आप लोगों पर अनुग्रह करके मैंने भगवान का पवित्र माहात्म्य इसलिये बताया है कि आप प्रयत्नपूर्वक उन यदुकुलतिलक श्रीकृष्ण की पूजा करें।
इस प्रकार श्रीमहाभारत अनुशासनपर्व के अंतर्गत दानधर्म पर्व में परमपुरुष श्रीकृष्ण का माहात्म्य विषयक एक सौ सैंतालिसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
|