मधुकर पीत बदन किहिं हेत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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मधुकर पीत बदन किहिं हेत।
जनियत है मुख पांडु रोग भयौ, जुवतिनि कौ दुख होत।।
रसमय तन मन स्याम राम कौ, जो उचरै संकेत।
कमलनयन के बचन सुधा सम, करन घूँट भरि लेत।।
कुत्सिक कटु बायक सायक से, को बोलत रसखेत।
इनहिं चातुरी लोग बापुरे, कहत धरम की की सेत।।
माथे परौ जोग पथ ताकै, बक्ता छपद समेत।
लोचन ललित कटाच्छ मोच्छ विनु महिमा जिऐ निकेत।।
मनसा वाचा और कर्मना स्याम सुंदर सौ हेत।
'सूरदास' मन की सब जानत, हमरे मनहिं जितेत।।3969।।

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