मदन मोहन जू के मदन मदनही मोहिनि -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग देवगिरि




मदन मोहन जू के मदन मदनही मोहिनि झूलन आई हो।
झूमक नाचति देवगिरि गावति सावन तीज खेलाई हो।।
पहिरि पहिरि सुही सुरंग सारी चुहिचुही चुनरि रँगाई हो।
नील लहँगा लाल चोली कसि केसरि उबटि सिंगार बनाई हो।।
मनिमय भूपन पट अँग साजे नँदलाल सौ प्रीति लगाई हो।
पूर्नकला मुख चंदा मनु चित चकोर प्रेम रस धाई हो।।
माथै मोर चद्रिका बिराजति कठ बैजंती कमल प्रसाई हो।
कुंडल लोल कपोलनि कै ढिग मनु रवि परकास कराई हो।।
अधर अरुन छवि कोंटि बज्र दुति ससि गुन रूप समाई हो।
मनि मय भूषन कठ मुकुताली देखि कोटि अनग लजाई हो।।
है खंभ कचन के सु मनोहर रत्ननि जटित जराई हो।
पटुली आठ हाटक बिद्रुम की नव मनि खचित खचाई हो।।
पँच रँग पाट कनक की डोरी अतिही सुघर बनाई हो।
बिसकर्मा सुतहार सुतिधारी सुरलभ सिलप सुहाई हो।।
फटिक सिंहासन मध्य राख्यौ है नवरत्न मनि सजाई हो।
पाँतिनि पाँति प्रबाल लगाए बिच बिच बज्र पचाई हो।।

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