मथुरा पुर में सोर परयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री


मथुरा पुर में सोर परयौ।
गरजत कंस बंस सब साजे, मुख कौ नीर हरयौ।।
पीरौ भयौ, फेफरी अधरनि, हिरदै अतिहि डरयौ।
नंद महर के सुत दोउ सुनि कै, नारिनि हर्ष भरयौ।।
कोउ महलनि पर कोउ छज्जनि पर, कुल लज्जा न करयौ।
कोउ धाई पुर गलिन गलिन ह्वै, काम धाम बिसरयौ।।
इंदु बदन नव जलद सुभग तनु, दोउ खग नयन करयौ।
'सूर' स्याम देखत पुरनारी, उर उर प्रेम भरयौ।।3025।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः