मतवारो बादर आए रे -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरहयातना

राग सावन


मतवारो बादर आए रे, हरि को सनेसो कबहुँ[1] न लाए रे ।। टेक ।।
दादर मोर पपइया बौलै, कोयल सबद सुणाए रे ।
(इक) कारी अँधियारी बिजरी चमकै, बिरहणि अति डरपाए रे ।
(इक) गाजै बाजै पवन मधुरिया, मेहा अति झड़ लाए रे ।
(इक) कारी[2] नाग बिरह अति जारी, मीराँ मन हरि भाएरे ।।81।।[3]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुछ
  2. फूंके कालीनाग बिरह की जारी
  3. मतवारो = मतवाले की भाँति घूमता हुआ। सनेसो = संदेशा। सुणाये = सुनाती है। गाजै = मेघ गर्जता है। बाजै = लगता है। मधुरिया = मंदगामी, सुहावना। मेह = मेघ, वर्षा। झड़ लाए = बरस रहा है। कारी नाग = काली नाग। विरह = विरहरूपी। जारी = जलाई हुई। भाए = सुहाए।

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