भोर भए नवकुंज सदन तें -छीतस्वामी

भोर भए नवकुंज सदन तें -छीतस्वामी

Prev.png


भोर भए नवकुंज सदन तें, आवत लाल गोवर्धन धारी.
लटपट पग मरगजी माला, सिथिल अंग डगमग गति न्यारी.
बिनुगुन माल बिराजति उर पर, नखछत द्वैज चन्द अनुहारी.
छीतस्वामि जब चितय मो तन, तब हौं निरखि गई बलिहारी.

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः