भागवत धर्म सार -विनोबा |
क्रमांक | प्रकरण | पृष्ठ संख्या |
1. | ईश्वर-प्रार्थना | 3 |
2. | भागवत-धर्म | 6 |
3. | भक्त-लक्षण | 9 |
4. | माया-तरण | 12 |
5. | ब्रह्म-स्वरूप | 15 |
6. | आत्मोद्धार | 16 |
7. | गुरुबोध (1) सृष्टि-गुरु | 18 |
8. | गुरुबोध (2) प्राणि-गुरु | 21 |
9. | गुरुबोध (3) मानव-गुरु | 24 |
10. | आत्म-विद्या | 26 |
11. | बद्ध-मुक्त-मुमुक्षु-साधक | 29 |
12. | वृक्षच्छेद | 34 |
13. | हंस-गीत | 36 |
14. | भक्ति-पावनत्व | 39 |
15. | सिद्धि-विभूति-निराकांक्षा | 42 |
16. | गुण-विकास | 43 |
17. | वर्णाश्रम-सार | 46 |
18. | विशेष सूचनाएँ | 48 |
19. | ज्ञान-वैराग्य-भक्ति | 49 |
20. | योग-त्रयी | 52 |
21. | वेद-तात्पर्य | 56 |
22. | संसार प्रवाह | 57 |
23. | भिक्षु गीत | 58 |
24. | पारतंत्र्य-मीमांसा | 60 |
25. | सत्व-संशुद्धि | 61 |
26. | सत्संगति | 63 |
27. | पूजा | 64 |
28. | ब्रह्म-स्थिति | 66 |
29. | भक्ति सारामृत | 69 |
30. | मुक्त विहार | 71 |
31. | कृष्ण-चरित्र-स्मरण | 72 |
भागवत धर्म मीमांसा | ||
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1. | भागवत धर्म | 74 |
2. | भक्त-लक्षण | 81 |
3. | माया-संतरण | 89 |
4. | बद्ध-मुक्त-मुमुक्षु साधक | 99 |
5. | वर्णाश्रण-सार | 112 |
6. | ज्ञान-वैराग्य-भक्ति | 115 |
7. | वेद-तात्पर्य | 125 |
8. | संसार-प्रवाह | 134 |
9. | पारतन्त्र्य-मीमांसा | 138 |
10. | पूजा | 140 |
11. | ब्रह्म-स्थिति | 145 |
12. | आत्म-विद्या | 154 |
13. | अंतिम पृष्ठ | 155 |