भगवान वासुदेव -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
अक्रूर लौट आये
‘वज्रपति आ गये मथुरा गोपों के साथ।’ नगर में यह समाचार शीघ्र फैल गया था। नागरिक बहुत उत्सुक थे तभी से, जब से सुना था कि कंस ने दोनों वसुदेव-पुत्रों को बुलाने के लिए अक्रूर को व्रजेश के यहाँ भेजा है। व्रजराज के आगमन का समाचार पाकर नागरिकों में भय, स्नेह, उत्सुकता मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई। अक्रूर आ गये। नागरिकों ने देखा कि रथ ख़ाली है। राम-कृष्ण को उतारकर वे चुपचाप मनमारे–से राजसदन गये और वहाँ से घर चले गये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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