भक्ति सुधा -करपात्री महाराज
श्रीरासलीलारहस्य
वाचस्पति मिश्र का कथन है- “प्रतिपित्सितं त्वर्थ प्रतिपादयन्प्रतिपादयितावधेयवचनो भवति। अप्रतिपित्सितन्तु प्रतिपादयन्नायं लौकिको नापि पारीक्षक इत्युन्मत्तवदुपेक्ष्यः स्यात्।” किन्तु वस्तुतः अर्थवाद का अशास्त्रत्व माना नहीं गया, क्योंकि ‘स्वाध्यायोऽध्येतव्यः’ इस विधि से स्वाध्यायपदवाच्य समस्त वेदराशि का (आचार्य-परम्परा से) अध्ययन करने का विधान किया गया है। समस्त वेदराशि के अन्तर्गत तो अर्थवाद भी है ही और गुरु परम्परापूर्वक वेदाध्ययन का ‘घृतकुल्या पयःकुल्यादि’ की प्राप्तिरूप अदृष्ट फल भी बतलाया गया है। इसके सिवा श्रौत सूत्रकार करकाचार्य जी भी कहते हैं कि ‘वेदे मात्रामात्रस्याप्यानर्थक्यं न वक्तुं शक्यम्’ अर्थात् वेद में एक मात्रा की व्यर्थता नहीं बतलायी जा सकती। अतः मीमांसक को अर्थवाद की सार्थकता अवश्य बतलानी चाहिये। मीमांसक कह सकता है कि विधि के साथ एकवाक्यतापन्न होकर विधिविहित अर्थ की स्तुति करने में अर्थवाद का उपयोग होता है; इसी तरह ये सार्थक हो सकते हैं। किन्तु वेदाध्ययन से घृतकुल्या, पयःकुल्या आदि अदृष्ट फल की कल्पना करने की क्या आवश्यकता है? इससे तो वेदार्थ ज्ञानरूप दृष्ट फल ही प्राप्त हो जाता है; और दृष्ट फल के रहते हुए अदृष्ट फल की कल्पना करना व्यर्थ है। इस पर शंका होती है कि यदि ऐसी बात है तो वेदार्थ-ज्ञान स्वतन्त्रता से स्वयं वेदाध्ययन कर लेने से ही हो सकता है; उसके लिये ‘स्वाध्यायोऽध्येतव्यः’ इस वाक्य से आचार्य परम्परापूर्वक अध्ययन करने की ही विधि क्यों की गयी है? उत्तर में कहा जा सकता है कि गुरु परम्परापूर्वक अध्ययन करने से वेद संस्कृत होता है और संस्कृत वेद ही यज्ञ-यागादि में उपयोगी है। इसलिये यह विधि सार्थक है। वेदाध्ययन से वेदार्थ ज्ञान की निष्पत्ति तो अन्वय-व्यतिरेक से स्वतः सिद्ध है। जिस प्रकार भोजन करने वाले पुरुष को तृप्ति हो ही जाती है उसी प्रकार जो कोई वेदाध्ययन करेगा उसे वेदार्थ ज्ञान होगा ही। इसमें विधि की आवश्यकता नहीं है। विधि की सार्थकता अप्राप्त विषय का प्रतिपादन करने में ही होती है। जिस प्रकार तण्डुल निष्पत्ति नखविदलन से भी हो सकती है और मुसलावहनन से भी। किन्तु यागादि में मुसलावहनन ही करना चाहिये; इसीलिये ‘व्रीहीनवहन्ति’ यह विधि की गयी है। इसका फल अदृष्ट होता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज