मीराँबाई की पदावली
वंशी-वादन लीला
राग कान्हरो
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हों = हूँ। गाँसुरी = गाँस, फँसाने के लिये फन्दा। ( देखो - ‘निरखिन देखहु अंग अंग अब चतुराई की गाँस’ - सूरदास )। कोन = कौन सा। सप्त सुरन = सातों स्वरों ( सप्त स्वर = षडज, ऋषभ, गांधार, मंध्यम, पंचम, धैवत और निषाद जिन्हें संक्षेप में सा, रे, ग, म, प, ध और नि भी कहते हैं )। नानीनकी = लयों के भिन्न भिन्न विस्तारों द्वारा उत्पन्न।
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