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ब्रह्म वैवर्त पुराण
श्रीकृष्ण जन्म खण्ड (उत्तरार्द्ध): अध्याय 77
सुस्वप्न दर्शन के फल का विचार नन्द जी ने पूछा- प्रभो! किस स्वप्न से कौन- सा पुण्य होता है और किससे मोक्ष एवं सुख की सूचना मिलती है? कौन-कौन सा स्वप्न शुभ बताया गया है? श्री भगवान बोले- तात! वेदों में सामवेद समस्त कर्मों के लिए श्रेष्ठ बताया गया है। इसी प्रकार कण्वशाखा के मनोहर पुण्यकाण्ड में इस विषय का वर्णन है। जो दुःस्वप्न है और जो सदा पुण्य-फल देने वाला सुस्वप्न है, वह सब जैसा पूर्वोक्त कण्वशाखा में बताया गया है; उसका वर्णन करता हूँ, सुनो। यह स्वप्नाध्याय अधिक पुण्य-फल देने वाला है। अतः इसका वर्णन करता हूँ। इसका श्रवण करने से मनुष्य गंगा स्नान के फल की प्राप्ति होती है। रात के पहले पहर में देखा गया स्वप्न एक वर्ष में फल देता है। दूसरे पहर का स्वप्न आठ महीनों में, तीसरे पहर का स्वप्न तीन महीनों में और चौथे पहर का स्वप्न एक पक्ष में अपना फल प्रकट करता है। अरुणोदय की बेला में देखा गया स्वप्न दस दिन में फलद होता है। प्रातःकाल का स्वप्न यदि तुरंद नींद टूट जाए तो तत्काल फल देने वाला होता है। दिन को मन में जो कुछ देखा और समझा गया है, वह सब अवश्य सपने में लक्षित होता है। तात! चिन्ता या रोग से युक्त मनुष्य जो स्वप्न देखता है, वह सब निःसंदेह निष्फल होता है। जो जडतुल्य है, मल-मूत्र के वेग से पीड़ित है, भय से व्याकुल है, नग्न है और बाल खोले हुए है, उसे अपने देखे हुए स्वप्न का कोई फल नहीं मिलता। निद्रालु मनुष्य स्वप्न देखकर यदि पुनः नींद लेने लग जाता है अथवा मूढ़तावश रात में ही किसी दूसरे से कह देता है; तब उसे उस स्वप्न का फल नहीं मिलता। किसी नीच पुरुष से, शत्रु से, मूर्ख मनुष्य से, स्त्री से अथवा रात में ही किसी दूसरे से स्वप्न की बात कह देने पर मनुष्य को विपत्ति, दुर्गति, रोग, भय, कलह, धनहानि एवं चोर भय का सामना करना पड़ता है। व्रजेश्वर! स्वप्न में गौ, हाथी, अश्व, महल, पर्वत और वृक्षों पर चढ़ना, भोजन करना तथा रोना धनप्रद कहा गया है। हाथ में वीणा लेकर गीत गाना खेती से भरी हुई भूमि की प्राप्ति का सूचक होता है। यदि स्वप्न में शरीर अस्त्र-शस्त्र से विद्ध हो जाय, उसमें घाव हों, कीड़े हो जाएं, विष्ठ अथवा खून से शरीर लिप्त हो जाये तो यह धन की प्राप्ति का सूचक है। स्वप्न में अगम्या स्त्री के साथ समागम भार्या प्राप्ति की सूचना देने वाला है। जो स्वप्न में मूत्र से भीग जाता, वीर्यपात करता, नरक में प्रवेश करता, नगर या लाल समुद्र में घुसता अथवा अमृत पान करता है; वह जगने पर शुभ समाचार पाता है और उसे प्रचुर धनराशि का लाभ होता है। स्वप्न में हाथी, राजा, सुवर्ण, वृषभ, धेनु, दीपक, अन्न, फल, पुष्प, कन्या, छत्र, ध्वज और रथ का दर्शन करके मनुष्य कुटुम्ब, कीर्ति और विपुल संपत्ति का भागी होता है। भरे हुए घड़े, ब्राह्मण, अग्नि, फूल, पान, मन्दिर, श्वेत धान्य, नट एवं नर्तकी को स्वप्न में देखने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। गोदुग्ध और घी के दर्शन का भी यही फल है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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