ब्रह्माण्ड पुराण हिन्दू धर्म में अठारह महापुराणों में से एक है। समस्त महापुराणों में अन्तिम पुराण होते हुए भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। समस्त ब्रह्माण्ड का सांगोपांग वर्णन इसमें प्राप्त होने के कारण ही इसे यह नाम दिया गया है।
- वैज्ञानिक दृष्टि से इस पुराण का विशेष महत्त्व है।
- विद्वानों ने 'ब्रह्माण्ड पुराण' को वेदों के समान माना है।
- छन्द शास्त्र की दृष्टि से भी यह उच्च कोटि का पुराण है।
- इस पुराण में वैदर्भी शैली का जगह-जगह प्रयोग हुआ है।
- उस शैली का प्रभाव प्रसिद्ध संस्कृत कवि कालिदास की रचनाओं में देखा जा सकता है।
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