बिहरत बृंदावन बनवारी -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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ब्रह्मा-बालक-वत्स-हरण



बिहरत बृंदावन बनवारी।
तासौं कहत स्याम घन सुदर जाकी जानन बारी।।
लै लै नाम बुलावन गाइनि और गुवर्धन धारी।
हे पीरी हे राती रौछी धौरी धूमरि कारी।।
खात तालफल सखनि खिझावत देत परस्पर गारी।
'सूरदास' प्रभु जाइ जमुनतट करत कुलाहल भारी।। 28 ।।


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