बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 92

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

15. सुनाऊँ किसको मनकी बात

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जिस किसी के पास जाकर मैं कहने लगूँगी कि
कन्हैया की याद में....................
इतना सुनते ही
वह स्वयं हृदयपर हाथ रखकर कह उठेगी-
‘याद न दिला बहन!
दबी हुई पीड़ा को उकसा मत।
आह! क्या वे दिन फिर आयेंगे?
हा प्राणनाथ! कब आओगे?’
इस प्रकार जब वह अपना रोना आरम्भ करेगी
तो मैं अपने मन की बात कैसे सुनाऊँगी?
जी हलका होने को कौन कहे और भारी हो जायेगा।
उसकी बात सुनकर लौट आना पड़ेगा।
तब क्या किया जाय?
सुनाना तो किसी को अवश्य चाहिये।

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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