बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 89

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

14. कोई तो बताये

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अरे, यह तो मथुरा से आ रही है,
तभी तो इतनी सुखप्रद है।
कन्हैया के अंगों का स्पर्श करके आयी है न?
आह! कैसी शीतल है।
ए री प्यारी हवा!
इतना सुख तूने दिया,
कहीं कन्हैया के विषय में भी कुछ सुना देती
तो तेरा बड़ा उपकार मानती।
मुझे बिना उनके कुशल-समाचार के
यह सुख सुहाता नहीं।
बोल दे बहन! कुछ कह दे,
हाय, यह भी कुछ नहीं बोलती।
अब किससे पूछूँ?
आह! मेरे श्यामसलोने कैसे हैं;
कोई तो बताये?
(चेतनाहीन होकर लुढ़क जाती है।)

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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