बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 87

बावरी गोपी -प्रेम भिखारी

14. कोई तो बताये

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ये बेचारे होते भी बड़े सीधे हैं,
पूछने से बता देंगे।
प्यारे कबूतरो!
बस, तनिक ठहर जाओ,
अधिक विलम्ब नहीं होगा,
इतना बता दो कि मुरलीमनोहर कैसे हैं?
उनके मुख की कान्ति में मलिनता तो नहीं आयी?
स्वस्थ और प्रसन्नवदन हैं न?
हैं, तुम उसी तेजी से उड़े जा रहे हो।
अरे भाई! तुम दयालु हो,
सीधे-सादे हो,
कुछ तो दया करो।
देखो, मैं तुम्हारे साथ-साथ दौड़ रही हूँ।
अच्छा, उड़ते-ही-उड़ते बता दो।

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बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
क्रम संख्या पाठ का नाम पृष्ठ संख्या
1. कल की बात 1
2. क्या मैं बावरी हूँ? 6
3. मेरी ही भूल थी 11
4. और कूक 18
5. कैसे थे वे दिन? 23
6. कल आयेंगे 29
7. रे भौंरे, मत गूँज 37
8. इस मक्खन का क्या करूँ? 44
9. हाय, यह तो स्वप्न था 52
10. कूबरी, तुझे धिक्कार है 58
11. कूबरी! तू धन्य है 64
12. कुछ न कहना 69
13. मैं भली कि मछली 75
14. कोई तो बताये 83
15. सुनाऊँ किसको मनकी बात 90
16. यह है प्रेम-परिणाम 98
17. यही आशा तो बैरिन हो गयी 105
18. बस, एक झलक 112
19. मैं तो चली पिया की डागरिया 119

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