मृत्यु के पास चली जाऊँ?
आत्महत्या कर लूँ?
नहीं, नहीं,
आत्महत्या महापाप है!
पाप-पुण्य की तो कोई बात नहीं,
आत्महत्या करने से मिलेगा क्या?
यदि कोई यह विश्वास दिला दे कि
ऐसा करने से कन्हैया मिल जायँगे
तो फिर आत्महत्या करने में क्षणभर की भी देन न लगे।
पर कौन जाने पीछे क्या होगा?
मैं समझती हूँ यदि आत्महत्या करने से श्यामसुन्दर मिलें
तो सारा ब्रज ऐसा कर ले।
कोई भी जीता न मिले।