हृदय में उमंगे उठ रही हैं,
जल्दी में पेड़ों से टकरा जाती हैं,
कँटीली झाड़ियों से उलझ जाती हैं,
सामने किसी विशाल भवन की दीवाल देखकर
चक्कर काटकर जाती हैं।
बिना क्षणभर विश्राम किये दौड़ी जा रही हैं।
कष्टों की चिन्ता नहीं,
थकावट की ओर ध्यान नहीं।
किंतु मथुरा पहुँचने पर बेचारी की क्या दशा होगी?
क्या यहाँ की भाँति बिना रोक-टोक
नटवर से मिल सकेगी?
राजद्वार पर प्रहरी रोक लेंगे,
उनके द्वारा संदेश भिजवाना होगा।