बावरी गोपी -प्रेम भिखारी
8. इस मक्खन का क्या करूँ?
हाय, तुम्हारे रुके हुए आँसू निकल पड़े। |
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हाय, तुम्हारे रुके हुए आँसू निकल पड़े। |
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